नीति लक्ष्य
नीति लक्ष्य की प्राथमिकता सूची :
- * जनवादी अधिकारों और स्वतंत्रता पर हमले को शिकस्त देना और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून समेत सभी विशेष कानूनों का, जो संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक दायरे को सीमित करते हैं और राज्य को बल प्रयोग के एकाधिकार का दुरुपयोग करने में सक्षम बनाते हैं, खत्म करने के लिए संघर्ष।
- * कृषि पर कार्पोरेट कब्जे को विफल करना। भूमि, जल, बीज, जंगल, खनिजों के निगमीकरण ब्वतचवतंजपेंजपवद का प्रतिरोध करना, सहकारिता को प्रोत्साहन देना तथा इन मूलभूत संसाधनों के मालिकाने तथा कामकाज के समाजीकरण की ओर बढ़ना।
- * सामुदायिक स्थलों, विशेषकर वन तथा आदिवासी आबादी व जमीन पर कारपोरेट अतिक्रमण व कब्जे को शिकस्त देना, आदिवासी सामुदायिक अधिकारों तथा आजीविका की हिफाजत करना, वन संसाधनों के सामुदायिक मालिकाने तथा प्रबंधन की रक्षा करना।
- * उन नीतियों को शिकस्त देना जो खनिज संसाधनों की कारपोरेट लूट को मदद पहुंचाती है तथा आदिवासियों के जीवन, आजीविका तथा रिहायशी आबादी का विनाश करती हंै।
- * विश्व व्यापार संगठन (वल्र्ड टेªड आर्गनाइजेशन) के अंतर्गत ''कृषि विषयक समझौता'' (एग्रीमेंट आन एग्रीकल्चर) को शिकस्त देना, कृषि उत्पादन और व्यापार में दक्षिण देशों के सहयोग के माध्यम से किसान केन्द्रित विकल्प के लिए संघर्ष।
- * विकास की वैकल्पिक नीतियों के लिए संघर्ष जो न केवल मुख्यधारा की ''भूमण्डलीकृत विकास'' की रणनीति को नकारती हैं बल्कि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती हंै, शैक्षिणिक व सामाजिक रूप से उन्नत वर्गों की तुलना में पिछड़े वर्गों, व्यक्तियों व विभिन्न अंचलों की समता और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करती है। इस विकास नीति के अमल से औद्योगीकरण की पद्धति और दिशा बदलेगी, इसका मतलब यह होगा कि ''वैश्विक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी" उद्योगों की मोहग्रस्तता से मुक्ति मिलेगी और रोजगारपरक तकनीकी पर आधारित व जनोपयोगी दिशा वाले उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
- * स्वास्थ्य एवं शिक्षा के व्यापारीकरण की प्रक्रिया का अन्त करना। भोजन व अन्य जरूरी चीजों तक जनता की सीमित पहुंच वाली तथा भेदभावपूर्ण महंगी मौजूदा व्यवस्था की जगह स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन और अन्य जरूरी चीजों के प्रावधान के लिए सर्वांगीण समतापरक, सुलभ सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थापना।
- *एक राष्ट्रीय वेतन और आय नीति जो विभिन्न क्षेत्रों व वर्गों के बीच असमानता में भारी कमी करे।
- * रोजगार का अधिकार तथा शालीन जीवन स्तर के लिए कानूनी उपायों तथा उपयुक्त आर्थिक नीतियों की पहल लेना।
- * सामाजिक रूप से वंचित वर्गों व समुदायों के लिए निजी और सरकारी क्षेत्रों में शिक्षा व रोजगार में विशेष अवसरों की कानूनी गारंटी।
- * भारी पैमाने पर व्याप्त धनबल व बाहुबल के खात्में के लिए, आनुपतिक प्रतिनिधित्व के लिए, जनतंत्रीकरण की प्रक्रिया को स्वच्छ और गहरा करने के लिए एक मुकम्मल चुनाव सुधार।
- * प्रशासनिक ढांचे पर जन-नियंत्रण तथा निगरानी, खासतौर पर आम लोगों के रोजमर्रे के कामों के निस्तारण के लिए।
- * उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद विरोधी लम्बे संघर्ष से हासिल भारत की मूल संकल्पना को ही चुनौती देने वाली साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ना तथा शिकस्त देना।
- * धर्म जिसका स्वाभाविक क्षेत्र (डोमेन) निजी क्षेत्र है उसमें उसे बनाए रखना और उसका राज्य तथा राजनीति से पूर्ण अलगाव करना।
- * ऐतिहासिक तौर पर उभरी अपनी सांस्कृतिक तथा राजनीतिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए उपराष्ट्रीयताओं तथा सीमावर्ती राज्यों के संघर्षों का समर्थन एवं भारतीय राज्य के अधीन पूर्णतर स्वायत्ता की आकांक्षा का समर्थन।
- *भारतीय वित्तीय व्यवस्था की स्वायत्तता को मजबूत करना तथा इसे वैश्विक पंूजी की दुर्बलता और लालच से बचाना, आंचलिक वित्तीय सहयोग जैसे क्षेत्रीय मौद्रिक संघ के लिए काम करना।
- * अमरीकी रणनीतिक संश्रय से निर्णायक अलगाव और अमरीकी सैन्यवाद का विरोध, विशेषकर पश्चिम एशिया में अमरीकी-इजराइली सैन्यवाद और अमेरीका-इजराइल प्रायोजित इस्लामोफोबिया का पर्दाफाश करना और उसे शिकस्त देना।
- * महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों विशेषकर चीन तथा पाकिस्तान के प्रति अंधराष्ट्रवादी तथा युद्धोन्मादी नीतियों व पैंतरेबाजी के खिलाफ लड़ना और इसे शिकस्त देना एवं भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया व सम्पूर्ण विश्व में शांति और सहयोग के लिए प्रयास करना।
- * एक नवीन ऊर्जा नीति जो हमारे रणनीतिक, कृषि व औद्योगिक नीतियों की नयी दिशा के अनुरूप हो। तेल, गैस से समृद्ध पश्चिम एशिया व मध्य एशिया के देशों के साथ चुनिंदा रणनीतिक सहयोग, शंघाई सहयोग संगठन के साथ घनिष्ठ सहयोग।