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Press Release News

7-8 दिसम्बर 2025, आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) एआईपीएफ (आर) के राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर संविधान और नीति लक्ष्य का विचार विमर्श के लिए मसौदा दस्तावेज

आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल)

एआईपीएफ (आर)

संविधान और नीति लक्ष्य

.भूमिका

राष्ट्रीय अभियान समिति (एन0सी0सी0) की बैठक 22-23 नवम्बर 2012 को हुई थी। इसमें ताजा राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक हालात का जायजा लेते हुए राजनीतिक परिस्थितियों की समीक्षा की गयी। समिति में यह सहमति बनी कि राजनीतिक चुनौती का मुकाबला राजनीतिक ढंग से किया जाना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए एक भिन्न राजनीतिक संगठन की स्थापना होनी चाहिए। बैठक में निम्नलिखित फैसला लिया गया -                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           ‘‘एन0सी0सी0 अपने मौजूदा स्वरूप में बनी रहेगी और अपने सभी सदस्यों के साथ काम करती रहेगी। एनसीसी से इतर एक नयी राजनीतिक संरचना स्वरूप ग्रहण करेगी। यह उन तमाम इकाइयों/संरचनाओं को एक साझी पहचान और राजनीतिक जमीन देगी जो अलग-अलग राजनीतिक संरचना के रूप में काम कर रहे हैं जैसे कि जन संघर्ष मोर्चा, क्रांतिकारी समता पार्टी, जन संग्राम परिषद जो एनसीसी से जुड़े हैं और इसके घटक हैं। एनसीसी के सदस्यों को नए राजनीतिक संगठन में शामिल होने के बारे में स्वयं फैसला करना होगा।‘‘

इस फैसले के बाद ‘‘आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल): एआईपीएफ (आर)’’ नाम से राजनीतिक संगठन को चुनाव आयोग में पंजीकृत कराने और इसका संविधान बनाने के लिए कदम उठाए गए। अब यह चुनाव आयोग में पंजीकृत संगठन है।

बाद में 30 सितम्बर 2013 को सम्पन्न बैठक में मसौदा संविधान पर विचार हुआ। यह सर्वसम्मत से फैसला हुआ कि संविधान में सांगठनिक ढांचे, शक्तियों तथा कार्यप्रणाली के अतिरिक्त एक संक्षिप्त प्रस्तावना तथा चुनाव आयोग द्वारा वांछित उद्घोषणा होनी चाहिए। यह भी तय किया गया कि एक अलग ‘नीति लक्ष्य’ का अनुच्छेद होना चाहिए जो संविधान का अभिन्न अंग होगा। मसौदे को विचार-विमर्श तथा सदस्यों एवं शुभचिंतकों के प्राप्त सुझावों के आधार पर तथा सभी सम्बंधित लोगों की सहमति से अंतिम रूप देते हुए बैठक में मौजूद एआईपीएफ (आर) प्रतिनिधियों द्वारा स्वीकृत किया गया।

एआईपीएफ (आर) के ‘‘संविधान तथा नीति लक्ष्य‘‘ को प्रस्तुत किया जा रहा है।

दिनांकः 21.11.2013

अखिलेन्द्र प्रताप सिंह

राष्ट्रीय संयोजक

आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल

 

आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) का संविधान

प्रस्तावना

आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) - एआईपीएफ (आर) एक जन राजनीतिक मंच है जो शोषण और हृदयहीनता से मुक्त एक मानवीय समाज के लिए समर्पित है। यह वर्तमान शोषणमूलक और अन्यायपूर्ण सामाजिक-आर्थिक ढांचे के अंत के लिए प्रतिबद्ध है। इसकी संकल्पना एक ऐसी सामाजिक एवं आर्थिक संरचना की स्थापना है जो जनआधारित तथा पर्यावरणपक्षीय है। यह समानता तथा एकजुटता के सिद्धांतों से प्रेरित है और इसका लक्ष्य सबके लिए गरिमामय जीवन की गारण्टी करना है।

       कारपोरेट पूंजी और सट्टेबाज वित्तीय पूंजी के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह तथा भारतीय शासक वर्ग का हित एक हो गया है। वह इन वैश्विक ताकतों के साथ अधिकाधिक गहरे और वृहत्तर रिश्तों में आंख मूंदकर बंधता जा रहा है। हालांकि नवउदारवादी आर्थिक ढांचा स्वयं वैश्विक पूंजी के अपने केन्द्र में ही सबसे गहरे संकट का सामना कर रहा है।     

        एआईपीएफ (आर) का मत है कि मौजूदा दौर ने, जिसमें इन विनाशकारी ताकतों ने गठजोड़ कायम कर लिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करना और भी जरूरी बना दिया है।

          व्यापक जनसमुदाय पर दो दशकों की नवउदारवादी नीतियों के विनाशकारी प्रभाव ने समाज में लम्बे समय से मौजूद दरिद्रता और असमानता को और भी तीखा कर दिया है। छोटे और सीमांत किसान, खेत मजदूर, दस्तकार, संगठित, असंगठित तथा अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूर, महिला श्रमिक और कथित स्वरोजगार में लगे लोग इसके बदतरीन शिकार हुए हैं जबकि ऊपरी तबके के एक छोटे से हिस्से ने अभूतपूर्व पैमाने पर संपत्ति और आय अर्जित की है। नवउदारवादी नीतियों पर मुग्ध रहे मध्यवर्ग का अब इससे अधिकाधिक मोहभंग होता जा रहा है और जल्द ही परिस्थितियां उसे यह तय करने के लिए बाध्य कर देंगी कि वह शासक वर्ग या मेहनतकश तबके के पक्ष में खड़ा हो।

            जनता के समक्ष मौजूद चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए शासक वर्ग द्वारा आम जनता के बीच फूट और विभाजन पैदा करने यहां तक कि लड़ाने के योजनाबद्ध ढंग से प्रयास किए जा रहे हैं। इस सनकभरी परियोजना का ही एक पहलू महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों के खिलाफ अंधराष्ट्रवाद और युद्धोन्माद भड़काने की कोशिश है। उनकी यह कार्रवाई वैश्विक महाशक्ति, जो अंतर्राष्ट्रीय पूंजी का केन्द्र भी है, की रणनीतिक योजना से मेल खाती है। 

         साथ ही, कानून व्यवस्था के नाम पर लोकतांत्रिक असहमति तथा जनगोलबंदी के दायरे में जबर्दस्त कटौती की जा रही है। इससे भी बुरी बात यह कि ‘‘विकास‘‘ और ‘‘सुशासन‘‘ के अनालोचनात्मक और सतही नारों की आड़ में कारपोरेट पूंजी के प्रोत्साहन व समर्थन से फासीवाद की प्रवृत्तियां उभर रही हैं जो राज्य मशीनरी पर पूरी तौर पर कब्जा करने पर आमादा हैं।  

           एआईपीएफ (आर) का मानना है कि आज समय की मांग है कि एक रेडिकल और समावेशी राजनीति के लिए एक व्यापक लोकतांत्रिक मंच का निर्माण किया जाए। एक ऐसी राजनीति, जो राज व समाज के जनतंत्रीकरण को गहरा करे, जो समानता, धर्मनिरपेक्षता (Secularism), एकजुटता के आधुनिक मूल्यों को सुदृढ़ करे तथा जो सबके लिए स्वतंत्रता और गरिमा की गारंटी करे। राजनीति, जो सामाजिक असमानता तथा अन्याय के सदियों से चले आ रहे अभिशाप का अंत करे। राजनीति, जो नवउदारवाद की चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दे तथा शासक वर्ग के नापाक मंसूबे को शिकस्त दे। राजनीति, जो भारत की उस संकल्पना की पुनः तलाश करेगी जिसे हमने उपनिवेशवाद विरोधी दीर्घ संघर्ष से विरासत में हासिल किया है।

एक शब्द में हमें अपने भाग्य से किए गए वादे को निभाना है। 

           एआईपीएफ (आर) इस कार्यभार के प्रति समर्पित है और इस लक्ष्य की दिशा में संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए सभी समान विचार वाले राजनैतिक संगठनों, समूहों, एक्टिविस्टों और व्यक्तियों के साथ हाथ मिलाने का इच्छुक है। 

संवैधानिक उद्घोषणा

            आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति तथा समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगा तथा भारत की प्रभुता, एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखेगा।

धाराएं

(1) नाम -  राजनीतिक पार्टी का नाम है - आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल)- एआईपीएफ (आर)।

(2) झन्डा - आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के झंडे में लाल व पीले रंग की दो समान क्षैतिज पट्टियां इसी क्रम में होंगी। झंडे का आकार 3: 2 की लम्बाई चैड़ाई के अनुपात के साथ आयाताकार होगा।

(3) एआईपीएफ (आर) की राजनीतिक अवधारणा की जड़े जन लोकतंत्र, आजीविका और समावेशी राष्ट्रवाद में हैं, जो इसका वैचारिक आधार बनाता है ।

(4) सदस्यता - कोई भी वयस्क भारतीय नागरिक जो एआईपीएफ (आर) के संविधान को स्वीकार करता है तथा इसकी राजनीतिक अवधारणा, नीति लक्ष्य, नीतियों एवं कार्यक्रम का अनुमोदन करता है, इसका सदस्य बन सकता है।   

(5) घटक संगठन - 

(अ) एआईपीएफ (आर) के संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित लक्ष्य और प्रस्ताव तथा इसकी संवैधानिक उद्घोषणा और नीति लक्ष्यों से सहमत संगठन घटक संगठन के बतौर विभिन्न स्तरों पर सीधे एआईपीएफ (आर) में शामिल हो सकते हैं। एआईपीएफ (आर) उनकी स्वतंत्र कार्यवाही में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

(ब) घटक संगठन द्वारा नामित एक उच्चस्तरीय पदाधिकारी एआईपीएफ (आर) की राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय कमेटियों का पदेन सदस्य होगा।

(स)  दूसरे समान विचार वाले संगठनों के सदस्य एआईपीएफ (आर) के सदस्य बन सकते हैं बशर्ते वे धारा 4 में उल्लिखित मानक को पूरा करते हों तथा उनके मूल संगठन की सदस्यता उन्हे ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने को प्रेरित न करती हो जो एआईपीएफ (आर) के उद्देश्य और लक्ष्य के साथ संगत न हो अथवा उसकी दिशा और नीतियों के प्रतिकूल हो। 

(6) कार्यप्रणाली और कार्यक्षेत्र:  अपने विकास और निर्माण प्रक्रिया, ढांचे और दर्शन के मद्देनजर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) जहां तक सम्भव होगा, सर्वसम्मति से काम करेगा तथा आपसी विचार-विमर्श के आधार पर फैसले लेगा। जहां सर्वानुमति न बन सके वहां फैसला उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। यदि संविधान की किसी धारा में बहुमत सुस्पष्ट ढंग से परिभाषित नहीं है तो वहां बहुमत का अर्थ सामान्य बहुमत माना जाएगा।

एआईपीएफ (आर) के मूलभूत सिद्धांत और नीतिगत प्रश्नों पर ही मुख्यत: यह नियम लागू होगा। विभिन्न स्तर की कमेटियां सांगठनिक स्वायत्तता का उपभोग करेंगी और ऊपर की कमेटियों की भूमिका अधिक से अधिक सुझाव मूलक की ही हो सकती है। 

यदि मूलभूत सिद्धांतों पर विरोध पक्ष की सहमति रहती है तो एआईपीएफ (आर) की राष्ट्रीय कार्य समिति संगठन के अंदर विरोध पक्ष बनाने की भी इजाजत दे सकती है। मजबूत राजनीतिक केंद्र की जरूरत को महसूस करते हुए भी एआईपीएफ (आर) यह मानता है कि संगठनों में उत्पन्न नौकरशाही और व्यक्तिवाद की प्रवृत्तियों से निपटने के लिए उच्च कमेटी से लेकर निचली कमेटी तक सांगठनिक ढांचे को इस तरह संयोजित किया जाए जो क्षैतिज हो और कमेटियों में अल्पमत को भी व्यवहार करने की छूट हो। भारतीय समाज की क्षेत्रीय, भाषाई तथा अन्य सामाजिक विविधताओं के परिप्रेक्ष्य में भी यह सांगठनिक व्यवस्था अपेक्षित है ।

एआईपीएफ (आर) का कार्यक्षेत्र पूरा भारत होगा और यह राष्ट्रीय, राज्य, जिला, तहसील, ब्लाक, शहर और स्थानीय स्तर पर अपना सांगठनिक ढांचा खड़ा करेगा।

(7) सांगठनिक ढांचा -

एआईपीएफ (आर) के सांगठनिक ढांचे में ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कुल छ: स्तर होंगे।

अ - ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटी

ब - ब्लाक/शहर फ्रंट कमेटी

स- तहसील फ्रंट कमेटीद - (1) जिला फ्रंट कमेटी

 - (2) जिला कार्य समिति 

व - (1) प्रदेश फ्रंट कमेटी

- (2) प्रदेश कार्य समिति 

य- (1) आल इण्डिया फ्रंट कमेटी

- (2) राष्ट्रीय कार्य समिति

         आल इण्डिया फ्रंट कमेटी राष्ट्रीय मुद्दों पर एआईपीएफ (आर) की सामान्य नीतियों को तय करेगी तथा राष्ट्रीय पहल और सांगठनिक अभियानों की दिशा निर्धारित करेगी। राष्ट्रीय कार्य समिति विशिष्ट राष्ट्रीय मुद्दों पर एआईपीएफ (आर) की समझ व रुख को सूत्रबद्ध करेगी और इसकी नीतियों तथा कार्यक्रमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होगी।

राष्ट्रीय स्तर की कमेटियों द्वारा तय नीतियों, कार्यक्रमों और पहलकदमियों के ढांचे में प्रदेश फ्रंट कमेटी तथा प्रदेश वर्किंग कमेटी अपने राज्य में वैसी ही भूमिका निभाएगी।

जिला फ्रंट व कार्य समिति, तहसील/ब्लाक/शहर फ्रंट कमेटी तथा ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटियां न केवल विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय कार्यक्रमों एवं पहलकदमियों को अपने इलाके में लागू करेंगी वरन इससे भी महत्वपूर्ण यह कि वे सुसंगत जमीनी कामकाज के जीवंत केन्द्र के बतौर काम करेंगी ताकि एआईपीएफ (आर) की नीतियों और उनके पीछे की भावना स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप व्यावहारिक शक्ल ग्रहण कर सके।

 राष्ट्रीय स्तर को छोड़कर अन्य स्तरों पर उच्चतर कमेटियों की सहमति से तदर्थ कमेटियां बनायी जा सकती हैं, जहां पूर्ण कमेटी बनाने की शर्तें न पूरी होती हों। 

 (8) राष्ट्रीय अधिवेशन - तीन वर्ष में एक बार एआईपीएफ (आर) का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। राष्ट्रीय कार्य समिति जरूरत के अनुरूप इस अवधि में आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की सहमति से परिवर्तन कर सकती है। आल इण्डिया फ्रंट कमेटी के सभी सदस्य, सभी प्रदेश कमेटियों के सदस्य, जिला कमेटियों के अध्यक्ष व महासचिव तथा तहसील, ब्लाक, शहर कमेटियों के अध्यक्ष राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रतिनिधि होंगे। अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्य समिति की सलाह से पदेन प्रतिनिधियों से इतर राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए प्रतिनिधियों को मनोनीत कर सकता है। इन मनोनीत प्रतिनिधियों की संख्या पदेन प्रतिनिधियो के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। राष्ट्रीय अधिवेशन आल इण्डिया फ्रंट कमेटी का चुनाव करेगा। राष्ट्रीय अधिवेशन में आल इण्डिया फ्रंट कमेटी के सदस्यों की संख्या तय की जायेगी।

(9) राष्ट्रीय कार्य समिति -  राष्ट्रीय कार्य समिति का चुनाव आल इण्डिया फ्रंट कमेटी करेगी। राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्यों की संख्या आल इण्डिया फ्रंट कमेटी में तय की जायेगी।

(10) राष्ट्रीय अध्यक्ष - राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव आल इण्डिया फ्रंट कमेटी द्वारा किया जाएगा। अध्यक्ष राष्ट्रीय बैठकों की अध्यक्षता करेगा। राष्ट्रीय राजनीतिक कार्यों के संचालन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय संयोजक और सहसंयोजक को आवश्यकतानुसार मनोनीत कर सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय संयोजक और सहसंयोजक राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी के पदेन सदस्य होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्य समिति के कुछ सदस्य मनोनीत कर सकता है। इन मनोनीत सदस्यों की संख्या निर्वाचित राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्यों की संख्या के 10 प्रतिशत से किसी भी हाल में अधिक नहीं होगी।

(11) उपाध्यक्ष - राष्ट्रीय कार्य समिति उपाध्यक्षों का चुनाव करेगी। अध्यक्ष उपाध्यक्षों के बीच से वरिष्ठ उपाध्यक्ष को नामित करेगा। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राष्ट्रीय स्तर की बैठकों की अध्यक्षता करेगा।

(12) महासचिव एवं सचिव - महासचिवों एवं सचिवों का चयन राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में होगा। राष्ट्रीय कार्य समिति महासचिवों के बीच से सांगठनिक महासचिव का चुनाव करेगी। सांगठनिक महासचिव राष्ट्रीय स्तर की बैठकों को बुलायेगा व संचालित करेगा, दस्तावेज तैयार करेगा और बैठकों का जरूरी रिकार्ड रखेगा। सचिव महासचिवों के काम में मदद करेंगे। सांगठनिक महासचिव एआईपीएफ (आर) के नाम पर कानूनी तथा वित्तीय मामलों को देखने के लिए राष्ट्रीय कार्य समिति द्वारा अधिकृत किया जा सकता है। 

(13) कार्यालय सचिव का चयन अध्यक्ष करेगा जो कार्यालय सम्बंधी कार्य सम्पादित करेगा। 

(14) कोषाध्यक्ष - राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्यों के बीच से अध्यक्ष कोषाध्यक्ष को मनोनीत करेगा। वह पार्टी के आय-व्यय का हिसाब रखेगा व आर्थिक मामलों की देखभाल करेगा। वह सूचीबद्ध बैंक में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के नाम पर खाता खोलेगा। खाते का संचालन कोषाध्यक्ष तथा अध्यक्ष द्वारा नामित एक अन्य उच्च पदाधिकारी के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। कोषाध्यक्ष एआईपीएफ (आर) के वित्तीय कार्यकलाप के संदर्भ में देश के कानून के हिसाब से जरूरी दायित्वों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होगा मसलन आडिट, आयकर, सेवाकर आदि।

(15) राष्ट्रीय से इतर कमेटियों के पदाधिकारी - राष्ट्रीय से इतर कमेटियां अपने पदाधिकारियों का चुनाव अपनी तीन वर्षीय बैठक में करेंगी। राष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व निचली सभी कमेटियों का चुनाव करा लिया जाए। ग्राम पंचायत/वार्ड कमेटियां अपनी वार्षिक बैठक में पदाधिकारी चुनेंगी।

(16)  सलाहकार परिषद - अध्यक्ष राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर आवश्यकतानुसार सलाहकार परिषद का गठन कर सकते हैं। सलाहकार परिषद के सदस्य तथा पदाधिकारी एआईपीएफ (आर) के सदस्य भी हो सकते हैं। सलाहकार परिषद एआईपीएफ (आर) की नीतियों, कार्यक्रमों तथा गतिविधियों को सूत्रबद्ध करने में महत्वपूर्ण परामर्शदायी भूमिका निभाएगी। सलाहकार परिषद के सदस्यों को आल इण्डिया फ्रंट कमेटी और प्रांतीय फ्रंट कमेटी की बैठकों में अध्यक्ष आमंत्रित कर सकते हैं। सलाहकार परिषद के ऐसे सदस्य जो एआईपीएफ (आर) के सदस्य नहीं हैं, वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे।

(17) संसदीय बोर्ड - आल इण्डिया फ्रंट कमेटी और प्रान्तीय फ्रंट कमेटी के सदस्यों के बीच से राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रांतीय अध्यक्ष क्रमशः राष्ट्रीय व प्रांतीय संसदीय बोर्डों की नियुक्ति करेंगे। प्रत्याशियों तथा अन्य चुनाव सम्बन्धी महत्वपूर्ण विषयों पर प्रान्तीय संसदीय बोर्डों के फैसलों पर राष्ट्रीय कार्य समिति का अनुमोदन वांछित होगा। घटक संगठनों के सदस्य संसदीय बोर्ड के लिए उच्चस्तरीय पदाधिकारी को नामित करेंगे।

(18) प्रान्तीय/जिला/तहसील/ब्लाक/शहर व प्राथमिक स्तरीय सम्मेलन - ये सम्मेलन तीन वर्ष पर होंगे। सम्बंधित प्रान्तीय/जिला/तहसील/ब्लाक/शहर स्तरीय फ्रंट कमेटियां समय और स्थान तय करेंगी। ग्राम पंचायत/वार्ड स्तरीय कमेटियों की सालाना बैठक होगी, सम्बंधित अध्यक्ष समय व स्थान तय करेंगे। इन सम्मेलनों के प्रतिनिधियों का चुनाव/चयन अथवा मनोनयन राष्ट्रीय स्तर की कमेटियों की तरह ही होगा, किन्तु चयन का दायरा सम्बंधित कमेटी के कार्यक्षेत्र तक सीमित होगा। ये सम्मेलन सम्बंधित स्तर की फ्रंट कमेटियों का चुनाव करेंगे। जिला स्तर के नीचे महासचिव का पद नहीं होगा। इन सम्मेलनों को सम्बंधित उच्चतर कमेटी द्वारा अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।

(19) ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटी - यह फ्रंट की बुनियादी इकाई है, जिसमें ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर के सभी एआईपीएफ (आर) सदस्य शामिल हो सकते हैं। यह अपने अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करेगी। इसका कार्यकाल एक वर्ष का होगा।

(20) विशेष प्रावधान - सभी कमेटियों तथा पदाधिकारियों में महिला, दलित, आदिवासी, धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़े वर्ग से निश्चित संख्या में प्रतिनिधि अवश्य होंगे। इस हेतु सम्बंधित कमेटियों के अध्यक्ष के पास मनोनयन का अधिकार होगा।

(21) संविधान संशोधन - संविधान में संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रीय कार्य समिति में पेश किया जाएगा जो इस पर सावधानीपूर्वक विचार करेगी और उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर इसका अनुमोदन करेगी और इसकी आल इण्डिया फ्रंट कमेटी से संस्तुति करेगी। आल इण्डिया फ्रंट कमेटी अन्य बदलावों के साथ जिन्हें वह उचित समझती हो, अपने उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर इसका अनुमोदन कर सकती है। संशोधन तत्काल बाद प्रभावी हो जाएगा।

(22) विशेष सत्र - अध्यक्ष किसी जरूरी मुद्दे/मुद्दों पर विचार के लिए राष्ट्रीय कार्य समिति का विशेष सत्र बुला सकता है। राष्ट्रीय कार्य समिति किसी महत्वपूर्ण एवं जरूरी मुद्दे/मुद्दों पर विचार के लिए आल इण्डिया फ्रंट कमेटी का विशेष सत्र आयोजित कर सकती है। 

(23) अनुशासनात्मक कार्रवाई - फ्रंट के हितों के विरुद्ध कार्य करने वाले सदस्यों के विरुद्ध सम्बंधित फ्रंट कमेटी अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी, जिसके तहत उसे चेतावनी देना, निलम्बित करना व निष्कासित करना शामिल है। सम्बंधित सदस्य के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले उसे समुचित नोटिस तथा अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई के हर फैसले का उच्चतर कमेटी द्वारा अनुमोदन कराना अनिवार्य है। समाज विरोधी गतिविधियों में लगे किसी भी सदस्य को निष्कासित करने का अधिकार सम्बंधित फ्रंट कमेटी के अध्यक्ष के पास रहेगा, पर अपने इस निर्णय का अनुमोदन उसे सम्बंधित फ्रंट कमेटी से कराना होगा। आपात स्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी कमेटी को भंग कर सकता है या किसी सदस्य व पदाधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है, पर उसे इस निर्णय का अनुमोदन राष्ट्रीय कार्य समिति से यथाशीघ्र कराना होगा। किसी कमेटी के अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरुद्ध उच्चतर कमेटी के समक्ष अपील करने का अधिकार सदस्य को होगा और यदि यह फैसला सर्वोच्च कमेटी अर्थात आल इण्डिया फ्रंट कमेटी द्वारा लिया गया है तो सम्बंधित सदस्य को उसके पास पुनर्समीक्षा, पुनर्विचार के लिए भेजने का अधिकार होगा। मामले पर पुनर्विचार के बाद अपीलीय पुनर्समीक्षा निकाय द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम और मान्य होगा।

(24) वित्तीय प्रावधान - फ्रंट प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर भारत निर्वाचन आयोग को वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करेगा। पार्टी का लेखा परीक्षण (सी.ए.जी.) में सूचीबद्ध आडिटर से कराया जायेगा। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) का फंड राजनीतिक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जायेगा। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) अपने वित्तीय लेखों के रख-रखाव में आयोग द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों का पालन करेगा।

 (24) (क) एआईपीएफ (आर) अपने संसाधन सदस्यता शुल्क व सदस्यों, शुभचिंतकों, समान विचार वाले व्यक्तियों तथा संगठनों द्वारा दिए गए अनुदान से विकसित करेगा। यह किसी भी विदेशी स्रोत से कोई धन स्वीकार नहीं करेगा। इस तरह एकत्र धन आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के नाम पर सूचीबद्ध बैंक में खोले गए खाते में रखा जाएगा।

(25) विलय व विघटन -  किसी दूसरे राजनैतिक संगठन में विलय व विघटन का निर्णय राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में भाग ले रहे तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत के आधार पर होगा। यह फैसला आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की बैठक में उपस्थित तथा मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन के बाद ही अंतिम रूप ग्रहण करेगा।

(26) विविध-

 अ - विभिन्न निकायों की बैठक बुलाए जाने पर सभी सम्बंधित सदस्यों को बैठक की समुचित सूचना दी जाएगी।

 ब - सदस्यता शुल्क का फैसला राष्ट्रीय कार्य समिति द्वारा किया जाएगा।

 स - जहां संविधान में कोई विशिष्ट प्रावधान उपलब्ध न हो और तत्काल फैसला लेना जरूरी हो, राष्ट्रीय कार्य समिति अपने उपस्थित तथा मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के अनुमोदन के साथ आवश्यकतानुसार समुचित फैसला लेने के लिए अधिकृत होगी। इस फैसले का आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की बैठक में उपस्थित तथा मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के सामान्य बहुमत से अनुमोदन आवश्यक होगा। ऐसे फैसले को संविधान की प्रस्तावना, संवैधानिक उद्घोषणा तथा वर्तमान प्रावधानों एवं संविधान की अन्तर्निहित भावना के साथ सुसंगत होना चाहिए।

नीति लक्ष्य

नीति लक्ष्य की प्राथमिकता सूची

  • जनवादी अधिकारों और स्वतंत्रता पर हमले को शिकस्त देना और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून समेत सभी विशेष कानूनों का, जो संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक दायरे को सीमित करते हैं और राज्य को बल प्रयोग के एकाधिकार का दुरुपयोग करने में सक्षम बनाते हैं, खत्म करने के लिए संघर्ष।
  • कृषि पर कार्पोरेट कब्जे को विफल करना। भूमि, जल, बीज, जंगल, खनिजों के निगमीकरण (Corporatisation) का प्रतिरोध करना, सहकारिता को प्रोत्साहन देना तथा इन मूलभूत संसाधनों के मालिकाने तथा कामकाज के समाजीकरण की ओर बढ़ना।
  • सामुदायिक स्थलों, विशेषकर वन तथा आदिवासी आबादी व जमीन पर कारपोरेट अतिक्रमण व कब्जे को शिकस्त देना, आदिवासी सामुदायिक अधिकारों तथा आजीविका की हिफाजत करना, वन संसाधनों के सामुदायिक मालिकाने तथा प्रबंधन की रक्षा करना।
  • उन नीतियों को शिकस्त देना जो खनिज संसाधनों की कारपोरेट लूट को मदद पहुंचाती है तथा आदिवासियों के जीवन, आजीविका तथा रिहायशी आबादी का विनाश करती है।
  • विश्व व्यापार संगठन (वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन) के अंतर्गत ‘‘कृषि विषयक समझौता‘‘ (एग्रीमेंट आन एग्रीकल्चर) को शिकस्त देना, कृषि उत्पादन और व्यापार में दक्षिण देशों के सहयोग के माध्यम से किसान केन्द्रित विकल्प के लिए संघर्ष।
  • विकास की वैकल्पिक नीतियों के लिए संघर्ष जो न केवल मुख्यधारा की ‘‘भूमण्डलीकृत विकास’’ की रणनीति को नकारती हैं बल्कि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है, शैक्षिणिक व सामाजिक रूप से उन्नत वर्गों की तुलना में पिछड़े वर्गों, व्यक्तियों व विभिन्न अंचलों की समता और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करती है। इस विकास नीति के अमल से औद्योगीकरण की पद्धति और दिशा बदलेगी, इसका मतलब यह होगा कि ‘‘वैश्विक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी” उद्योगों की मोहग्रस्तता से मुक्ति मिलेगी और रोजगारपरक तकनीकी पर आधारित व जनोपयोगी दिशा वाले उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्वास्थ्य एवं शिक्षा के व्यापारीकरण की प्रक्रिया का अन्त करना। भोजन व अन्य जरूरी चीजों तक जनता की सीमित पहुंच वाली तथा भेदभावपूर्ण महंगी मौजूदा व्यवस्था की जगह स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन और अन्य जरूरी चीजों के प्रावधान के लिए सर्वांगीण समतापरक, सुलभ सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थापना।
  • सुपर रिच की सम्पत्ति पर समुचित टैक्स लगाया जाए और इसे सामाजिक सुरक्षा पर खर्च किया जाए। एक राष्ट्रीय वेतन और आय नीति जो विभिन्न क्षेत्रों व वर्गों के बीच असमानता में भारी कमी करे।
  • रोजगार का अधिकार तथा गरिमापूर्ण जीवन स्तर के लिए कानूनी उपायों तथा उपयुक्त आर्थिक नीतियों की पहल लेना।
  • पहचान आधारित भेदभाव से प्रभावित सामाजिक समूहों — जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं — का शिक्षा, न्यायपालिका, मीडिया, सरकारी नौकरियों और सभी प्रशासनिक एवं निजी क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही,  जनगणना में जनजातीय धर्मों के लिए एक अलग कॉलम पुनः शामिल किया जाना चाहिए, जैसा कि 1961 से पहले किया जाता था, ताकि उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का सम्मान किया जा सके।
  • सरकारी नीतियों का निर्माण इस तरह किया जाना चाहिए कि वे भारत के विविध सामाजिक समूहों की सामाजिक-सांस्कृतिक, धार्मिक और आदिवासी पहचान की रक्षा करें, न कि शहर-केंद्रित, नौकरशाही आधारित एक रूपता थोपने वाले मॉडल को बढ़ावा दें। वर्तमान नीतिगत ढांचे, जो इसी प्रकार की सोच पर आधारित हैं, अक्सर पारिस्थितिक संतुलन, पर्यावरणीय स्थिरता और सांस्कृतिक विविधता की उपेक्षा करते हैं — विशेष रूप से यह प्रवृत्ति आवास संबंधी नीतियों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। ये नीतियाँ भारतीय जनता की वास्तविक जीवन परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हैं ।
  • भारी पैमाने पर व्याप्त धनबल व बाहुबल के खात्में के लिए, आनुपतिक प्रतिनिधित्व के लिए, जनतंत्रीकरण की प्रक्रिया को स्वच्छ और गहरा करने के लिए एक मुकम्मल चुनाव सुधार। 
  • एआईपीएफ भारतीय संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांत को स्वीकार करता है।     
  • प्रशासनिक ढांचे पर जन-नियंत्रण तथा निगरानी, खासतौर पर आम लोगों के रोजमर्रे के कामों के निस्तारण के लिए। 
  • डेटा सुरक्षा और डिजिटल अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए। निजता का उल्लंघन किसी भी कीमत पर न हो। 
  • उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद विरोधी लम्बे संघर्ष से हासिल भारत की मूल संकल्पना को ही चुनौती देने वाली साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ना तथा शिकस्त देना।
  • धर्म जिसका स्वाभाविक क्षेत्र (डोमेन) निजी क्षेत्र है उसमें उसे बनाए रखना और उसका राज्य तथा राजनीति से पूर्ण अलगाव करना।
  • ऐतिहासिक तौर पर उभरी अपनी सांस्कृतिक तथा राजनीतिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए उपराष्ट्रीयताओं तथा सीमावर्ती राज्यों के संघर्षों का समर्थन एवं भारतीय राज्य के अधीन पूर्णतर स्वायत्ता की आकांक्षा का समर्थन।
  • भारतीय वित्तीय व्यवस्था की स्वायत्तता को मजबूत करना तथा इसे वैश्विक वित्तीय पूंजी की अस्थिरता और लालच से बचाना, आंचलिक वित्तीय सहयोग जैसे क्षेत्रीय मौद्रिक संघ के लिए काम करना।
  • अमरीकी रणनीतिक संश्रय से निर्णायक अलगाव और अमरीकी सैन्यवाद का विरोध, विशेषकर पश्चिम एशिया में अमरीकी-इजराइली सैन्यवाद और अमेरीका-इजराइल प्रायोजित इस्लामोफोबिया का पर्दाफाश करना और उसे शिकस्त देना।
  • महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों विशेषकर चीन तथा पाकिस्तान के प्रति अंधराष्ट्रवादी तथा युद्धोन्मादी नीतियों व पैंतरेबाजी के खिलाफ लड़ना और इसे शिकस्त देना एवं भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया व सम्पूर्ण विश्व में शांति और सहयोग के लिए प्रयास करना।
  • तेजी से बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन, जीवन रक्षक ओजोन परत के क्षय, ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री जलस्तर में वृद्धि व नदियों के सूखने, बाढ़ व सूखा, जैवविविधता  व पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव जैसे गंभीर कारक होंगे। प्रौद्योगिकी विकास व इस्तेमाल इस तरह हो ताकि इन गंभीर खतरों का दुष्प्रभाव न्यूनतम किया जा सके। कृषि, उद्योग, आवास आदि क्षेत्रों में ऐसी नीतियां बनाने में हरित नौकरियों (ग्रीन जॉब्स ) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली एक नवीन ऊर्जा नीति जो हमारे रणनीतिक, कृषि व औद्योगिक नीतियों की नयी दिशा के अनुरूप हो। तेल, गैस से समृद्ध पश्चिम एशिया व मध्य एशिया के देशों के साथ चुनिंदा रणनीतिक सहयोग, शंघाई सहयोग संगठन के साथ घनिष्ठ सहयोग।