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Preamble (View in Hindi)

आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) - एआईपीएफ (आर) एक जन राजनीतिक मंच है जो शोषण और हृदयहीनता से मुक्त एक मानवीय समाज के लिए समर्पित है। यह वर्तमान शोषणमूलक और अन्यायपूर्ण सामाजिक-आर्थिक ढांचे के अंत के लिए प्रतिबद्ध है। इसकी संकल्पना एक ऐसी सामाजिक एवं आर्थिक संरचना की स्थापना है जो जनआधारित तथा पर्यावरणपक्षीय है। यह समानता तथा एकजुटता के सिद्धांतों से प्रेरित है और इसका लक्ष्य सबके लिए गरिमामय जीवन की गारण्टी करना है।

कारपोरेट पूंजी और सट्टेबाज वित्तीय पूंजी के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह तथा भारतीय शासक वर्ग का हित एक हो गया है। वह इन वैश्विक ताकतों के साथ अधिकाधिक गहरे और वृहत्तर रिश्तों में आंख मूंदकर बंधता जा रहा है। हालांकि नवउदारवादी आर्थिक ढांचा स्वयं वैश्विक पूंजी के अपने केन्द्र में ही सबसे गहरे संकट का सामना कर रहा है।

एआईपीएफ (आर) का मत है कि मौजूदा दौर ने, जिसमें इन विनाशकारी ताकतों ने गठजोड़ कायम कर लिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करना और भी जरूरी बना दिया है।

व्यापक जनसमुदाय पर दो दशकों की नवउदारवादी नीतियों के विनाशकारी प्रभाव ने समाज में लम्बे समय से मौजूद दरिद्रता और असमानता को और भी तीखा कर दिया है। छोटे और सीमांत किसान, खेत मजदूर, दस्तकार, संगठित, असंगठित तथा अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूर, महिला श्रमिक और कथित स्वरोजगार में लगे लोग इसके बदतरीन शिकार हुए हैं जबकि ऊपरी तबके के एक छोटे से हिस्से ने अभूतपूर्व पैमाने पर संपत्ति और आय अर्जित की है। नवउदारवादी नीतियों पर मुग्ध रहे मध्यवर्ग का अब इससे अधिकाधिक मोहभंग होता जा रहा है और जल्द ही परिस्थितियां उसे यह तय करने के लिए बाध्य कर देंगी कि वह शासक वर्ग या मेहनतकश तबके के पक्ष में खड़ा हो।

जनता के समक्ष मौजूद चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए शासक वर्ग द्वारा आम जनता के बीच फूट और विभाजन पैदा करने यहां तक कि लड़ाने के योजनाबद्ध ढंग से प्रयास किए जा रहे हैं। इस सनकभरी परियोजना का ही एक पहलू महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों के खिलाफ अंधराष्ट्रवाद और युद्धोन्माद भड़काने की कोशिश है। उनकी यह कार्रवाई वैश्विक महाशक्ति, जो अंतर्राष्ट्रीय पूंजी का केन्द्र भी है, की रणनीतिक योजना से मेल खाती है।

साथ ही, कानून व्यवस्था के नाम पर लोकतांत्रिक असहमति तथा जनगोलबंदी के दायरे में जबर्दस्त कटौती की जा रही है। इससे भी बुरी बात यह कि ‘‘विकास‘‘ और ‘‘सुशासन‘‘ के अनालोचनात्मक और सतही नारों की आड़ में कारपोरेट पूंजी के प्रोत्साहन व समर्थन से फासीवाद की प्रवृत्तियां उभर रही हैं जो राज्य मशीनरी पर पूरी तौर पर कब्जा करने पर आमादा हैं।

एआईपीएफ (आर) का मानना है कि आज समय की मांग है कि एक रेडिकल और समावेशी राजनीति के लिए एक व्यापक लोकतांत्रिक मंच का निर्माण किया जाए। एक ऐसी राजनीति, जो राज व समाज के जनतंत्रीकरण को गहरा करे, जो समानता, धर्मनिरपेक्षता (Secularism), एकजुटता के आधुनिक मूल्यों को सुदृढ़ करे तथा जो सबके लिए स्वतंत्रता और गरिमा की गारंटी करे। राजनीति, जो सामाजिक असमानता तथा अन्याय के सदियों से चले आ रहे अभिशाप का अंत करे। राजनीति, जो नवउदारवाद की चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दे तथा शासक वर्ग के नापाक मंसूबे को शिकस्त दे। राजनीति, जो भारत की उस संकल्पना की पुनः तलाश करेगी जिसे हमने उपनिवेशवाद विरोधी दीर्घ संघर्ष से विरासत में हासिल किया है।

एक शब्द में हमें अपने भाग्य से किए गए वादे को निभाना है।

एआईपीएफ (आर) इस कार्यभार के प्रति समर्पित है और इस लक्ष्य की दिशा में संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए सभी समान विचार वाले राजनैतिक संगठनों, समूहों, एक्टिविस्टों और व्यक्तियों के साथ हाथ मिलाने का इच्छुक है।