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संवैधानिक उद्घोषणा:
आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति तथा समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगा तथा भारत की प्रभुता, एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखेगा।

(1) नाम - राजनीतिक पार्टी का नाम है - आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल)- एआईपीएफ (आर)।

(2) झन्डा - आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के झंडे में लाल व पीले रंग की दो समान क्षैतिज पट्टियां इसी क्रम में होंगी। झंडे का आकार 3: 2 की लम्बाई चैड़ाई के अनुपात के साथ आयाताकार होगा।

(3) एआईपीएफ (आर) की राजनीतिक अवधारणा जन लोकतंत्र है।

(4) सदस्यता - कोई भी वयस्क भारतीय नागरिक जो एआईपीएफ (आर) के संविधान को स्वीकार करता है तथा इसकी राजनीतिक अवधारणा, नीति लक्ष्य, नीतियों एवं कार्यक्रम का अनुमोदन करता है, इसका सदस्य बन सकता है।

(5) घटक संगठन -
(अ) एआईपीएफ (आर) के संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित लक्ष्य और प्रस्ताव तथा इसकी संवैधानिक उद्घोषणा और नीति लक्ष्यों से सहमत संगठन घटक संगठन के बतौर विभिन्न स्तरों पर सीधे एआईपीएफ (आर) में शामिल हो सकते हैं। एआईपीएफ (आर) उनकी स्वतंत्र कार्यवाही में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।
(ब) घटक संगठन द्वारा नामित एक उच्चस्तरीय पदाधिकारी एआईपीएफ (आर) की राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय कमेटियों का पदेन सदस्य होगा।
(स) दूसरे समान विचार वाले संगठनों के सदस्य एआईपीएफ (आर) के सदस्य बन सकते हैं बशर्ते वे धारा 4 में उल्लिखित मानक को पूरा करते हों तथा उनके मूल संगठन की सदस्यता उन्हे ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने को प्रेरित न करती हो जो एआईपीएफ (आर) के उद्देश्य और लक्ष्य के साथ संगत न हो अथवा उसकी दिशा और नीतियों के प्रतिकूल हो।

(6) कार्यप्रणाली और कार्यक्षेत्र: अपने विकास और निर्माण प्रक्रिया, ढांचे और दर्शन के मद्देनजर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) जहां तक सम्भव होगा, सर्वसम्मति से काम करेगा तथा आपसी विचार-विमर्श के आधार पर फैसले लेगा। जहां सर्वानुमति न बन सके वहां फैसला उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। यदि संविधान की किसी धारा में बहुमत सुस्पष्ट ढंग से परिभाषित नहीं है तो वहां बहुमत का अर्थ सामान्य बहुमत माना जाएगा।

एआईपीएफ (आर) का कार्यक्षेत्र पूरा भारत होगा और यह राष्ट्रीय, राज्य, जिला, तहसील, ब्लाक, शहर और स्थानीय स्तर पर अपना सांगठनिक ढांचा खड़ा करेगा।

(7) सांगठनिक ढांचा -
एआईपीएफ (आर) के सांगठनिक ढांचे में ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कुल छ: स्तर होंगे।
अ - ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटी
ब - ब्लाक/शहर फ्रंट कमेटी
स- तहसील फ्रंट कमेटी
द - (1) जिला फ्रंट कमेटी
- (2) जिला कार्य समिति
व - (1) प्रदेश फ्रंट कमेटी
- (2) प्रदेश कार्य समिति
य- (1) आल इण्डिया फ्रंट कमेटी
- (2) राष्ट्रीय कार्य समिति

आल इण्डिया फ्रंट कमेटी राष्ट्रीय मुद्दों पर एआईपीएफ (आर) की सामान्य नीतियों को तय करेगी तथा राष्ट्रीय पहल और सांगठनिक अभियानों की दिशा निर्धारित करेगी। राष्ट्रीय कार्य समिति विशिष्ट राष्ट्रीय मुद्दों पर एआईपीएफ (आर) की समझ व रुख को सूत्रबद्ध करेगी और इसकी नीतियों तथा कार्यक्रमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होगी।

राष्ट्रीय स्तर की कमेटियों द्वारा तय नीतियों, कार्यक्रमों और पहलकदमियों के ढांचे में प्रदेश फ्रंट कमेटी तथा प्रदेश वर्किंग कमेटी अपने राज्य में वैसी ही भूमिका निभाएगी।

जिला फ्रंट व कार्य समिति, तहसील/ब्लाक/शहर फ्रंट कमेटी तथा ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटियां न केवल विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्यस्तरीय कार्यक्रमों एवं पहलकदमियों को अपने इलाके में लागू करेंगी वरन इससे भी महत्वपूर्ण यह कि वे सुसंगत जमीनी कामकाज के जीवंत केन्द्र के बतौर काम करेंगी ताकि एआईपीएफ (आर) की नीतियों और उनके पीछे की भावना स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप व्यावहारिक शक्ल ग्रहण कर सके।

राष्ट्रीय स्तर को छोड़कर अन्य स्तरों पर उच्चतर कमेटियों की सहमति से तदर्थ कमेटियां बनायी जा सकती हैं, जहां पूर्ण कमेटी बनाने की शर्तें न पूरी होती हों।

(8) राष्ट्रीय अधिवेशन - तीन वर्ष में एक बार एआईपीएफ (आर) का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। राष्ट्रीय कार्य समिति जरूरत के अनुरूप इस अवधि में आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की सहमति से परिवर्तन कर सकती है। आल इण्डिया फ्रंट कमेटी के सभी सदस्य, सभी प्रदेश कमेटियों के सदस्य, जिला कमेटियों के अध्यक्ष व महासचिव तथा ब्लाक कमेटियों के अध्यक्ष राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रतिनिधि होंगे। अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्य समिति की सलाह से पदेन प्रतिनिधियों से इतर राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए प्रतिनिधियों को मनोनीत कर सकता है। इन मनोनीत प्रतिनिधियों की संख्या पदेन प्रतिनिधियो के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। राष्ट्रीय अधिवेशन आल इण्डिया फ्रंट कमेटी का चुनाव करेगा। राष्ट्रीय अधिवेशन में आल इण्डिया फ्रंट कमेटी के सदस्यों की संख्या तय की जायेगी।

(9) राष्ट्रीय कार्य समिति - राष्ट्रीय कार्य समिति का चुनाव आल इण्डिया फ्रंट कमेटी करेगी। राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्यों की संख्या आल इण्डिया फ्रंट कमेटी में तय की जायेगी।

(10) राष्ट्रीय अध्यक्ष - राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव आल इण्डिया फ्रंट कमेटी द्वारा किया जाएगा। अध्यक्ष राष्ट्रीय बैठकों की अध्यक्षता करेगा। राष्ट्रीय राजनीतिक कार्यों के संचालन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय संयोजक और सहसंयोजक को आवश्यकतानुसार मनोनीत कर सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय संयोजक और सहसंयोजक राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी के पदेन सदस्य होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्य समिति के कुछ सदस्य मनोनीत कर सकता है। इन मनोनीत सदस्यों की संख्या निर्वाचित राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्यों की संख्या के 10 प्रतिशत से किसी भी हाल में अधिक नहीं होगी।

(11) उपाध्यक्ष - राष्ट्रीय कार्य समिति उपाध्यक्षों का चुनाव करेगी। अध्यक्ष उपाध्यक्षों के बीच से वरिष्ठ उपाध्यक्ष को नामित करेगा। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राष्ट्रीय स्तर की बैठकों की अध्यक्षता करेगा।

(12) महासचिव एवं सचिव - महासचिवों एवं सचिवों का चयन राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में होगा। राष्ट्रीय कार्य समिति महासचिवों के बीच से सांगठनिक महासचिव का चुनाव करेगी। सांगठनिक महासचिव राष्ट्रीय स्तर की बैठकों को बुलायेगा व संचालित करेगा, दस्तावेज तैयार करेगा और बैठकों का जरूरी रिकार्ड रखेगा। सचिव महासचिवों के काम में मदद करेंगे। सांगठनिक महासचिव एआईपीएफ (आर) के नाम पर कानूनी तथा वित्तीय मामलों को देखने के लिए राष्ट्रीय कार्य समिति द्वारा अधिकृत किया जा सकता है।

(13) कार्यालय सचिव का चयन अध्यक्ष करेगा जो कार्यालय सम्बंधी कार्य सम्पादित करेगा।

(14) कोषाध्यक्ष - राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्यों के बीच से अध्यक्ष कोषाध्यक्ष को मनोनीत करेगा। वह पार्टी के आय-व्यय का हिसाब रखेगा व आर्थिक मामलों की देखभाल करेगा। वह सूचीबद्ध बैंक में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के नाम पर खाता खोलेगा। खाते का संचालन कोषाध्यक्ष तथा अध्यक्ष द्वारा नामित एक अन्य उच्च पदाधिकारी के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। कोषाध्यक्ष एआईपीएफ (आर) के वित्तीय कार्यकलाप के संदर्भ में देश के कानून के हिसाब से जरूरी दायित्वों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होगा मसलन आडिट, आयकर, सेवाकर आदि।

(15) राष्ट्रीय से इतर कमेटियों के पदाधिकारी - राष्ट्रीय से इतर कमेटियां अपने पदाधिकारियों का चुनाव अपनी तीन वर्षीय बैठक में करेंगी। राष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व निचली सभी कमेटियों का चुनाव करा लिया जाए। ग्राम पंचायत/वार्ड कमेटियां अपनी वार्षिक बैठक में पदाधिकारी चुनेंगी।

(16) सलाहकार परिषद - अध्यक्ष राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर आवश्यकतानुसार सलाहकार परिषद का गठन कर सकते हैं। सलाहकार परिषद के सदस्य तथा पदाधिकारी एआईपीएफ (आर) के सदस्य भी हो सकते हैं। सलाहकार परिषद एआईपीएफ (आर) की नीतियों, कार्यक्रमों तथा गतिविधियों को सूत्रबद्ध करने में महत्वपूर्ण परामर्शदायी भूमिका निभाएगी। सलाहकार परिषद के सदस्यों को आल इण्डिया फ्रंट कमेटी और प्रांतीय फ्रंट कमेटी की बैठकों में अध्यक्ष आमंत्रित कर सकते हैं। सलाहकार परिषद के ऐसे सदस्य जो एआईपीएफ (आर) के सदस्य नहीं हैं, वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे।

(17) संसदीय बोर्ड - आल इण्डिया फ्रंट कमेटी और प्रान्तीय फ्रंट कमेटी के सदस्यों के बीच से राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रांतीय अध्यक्ष क्रमशः राष्ट्रीय व प्रांतीय संसदीय बोर्डों की नियुक्ति करेंगे। प्रत्याशियों तथा अन्य चुनाव सम्बन्धी महत्वपूर्ण विषयों पर प्रान्तीय संसदीय बोर्डों के फैसलों पर राष्ट्रीय कार्य समिति का अनुमोदन वांछित होगा। घटक संगठनों के सदस्य संसदीय बोर्ड के लिए उच्चस्तरीय पदाधिकारी को नामित करेंगे।

(18) प्रान्तीय/जिला/तहसील/ब्लाक/शहर व प्राथमिक स्तरीय सम्मेलन - ये सम्मेलन तीन वर्ष पर होंगे। सम्बंधित प्रान्तीय/जिला/तहसील/ब्लाक/शहर स्तरीय फ्रंट कमेटियां समय और स्थान तय करेंगी। ग्राम पंचायत/वार्ड स्तरीय कमेटियों की सालाना बैठक होगी, सम्बंधित अध्यक्ष समय व स्थान तय करेंगे। इन सम्मेलनों के प्रतिनिधियों का चुनाव/चयन अथवा मनोनयन राष्ट्रीय स्तर की कमेटियों की तरह ही होगा, किन्तु चयन का दायरा सम्बंधित कमेटी के कार्यक्षेत्र तक सीमित होगा। ये सम्मेलन सम्बंधित स्तर की फ्रंट कमेटियों का चुनाव करेंगे। जिला स्तर के नीचे महासचिव का पद नहीं होगा। इन सम्मेलनों को सम्बंधित उच्चतर कमेटी द्वारा अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।

(19) ग्राम पंचायत/वार्ड फ्रंट कमेटी - यह फ्रंट की बुनियादी इकाई है, जिसमें ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर के सभी एआईपीएफ (आर) सदस्य शामिल हो सकते हैं। यह अपने अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करेगी। इसका कार्यकाल एक वर्ष का होगा।

(20) विशेष प्रावधान - सभी कमेटियों तथा पदाधिकारियों में महिला, दलित, आदिवासी, धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़े वर्ग से निश्चित संख्या में प्रतिनिधि अवश्य होंगे। इस हेतु सम्बंधित कमेटियों के अध्यक्ष के पास मनोनयन का अधिकार होगा।

(21) संविधान संशोधन - संविधान में संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रीय कार्य समिति में पेश किया जाएगा जो इस पर सावधानीपूर्वक विचार करेगी और उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर इसका अनुमोदन करेगी और इसकी आल इण्डिया फ्रंट कमेटी से संस्तुति करेगी। आल इण्डिया फ्रंट कमेटी अन्य बदलावों के साथ जिन्हें वह उचित समझती हो, अपने उपस्थित तथा वोट डालने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर इसका अनुमोदन कर सकती है। संशोधन तत्काल बाद प्रभावी हो जाएगा।

(22) विशेष सत्र -- अध्यक्ष किसी जरूरी मुद्दे/मुद्दों पर विचार के लिए राष्ट्रीय कार्य समिति का विशेष सत्र बुला सकता है। राष्ट्रीय कार्य समिति किसी महत्वपूर्ण एवं जरूरी मुद्दे/मुद्दों पर विचार के लिए आल इण्डिया फ्रंट कमेटी का विशेष सत्र आयोजित कर सकती है।

(23) अनुशासनात्मक कार्रवाई - फ्रंट के हितों के विरुद्ध कार्य करने वाले सदस्यों के विरुद्ध सम्बंधित फ्रंट कमेटी अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी, जिसके तहत उसे चेतावनी देना, निलम्बित करना व निष्कासित करना शामिल है। सम्बंधित सदस्य के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले उसे समुचित नोटिस तथा अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई के हर फैसले का उच्चतर कमेटी द्वारा अनुमोदन कराना अनिवार्य है। समाज विरोधी गतिविधियों में लगे किसी भी सदस्य को निष्कासित करने का अधिकार सम्बंधित फ्रंट कमेटी के अध्यक्ष के पास रहेगा, पर अपने इस निर्णय का अनुमोदन उसे सम्बंधित फ्रंट कमेटी से कराना होगा। आपात स्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी कमेटी को भंग कर सकता है या किसी सदस्य व पदाधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है, पर उसे इस निर्णय का अनुमोदन राष्ट्रीय कार्य समिति से यथाशीघ्र कराना होगा। किसी कमेटी के अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरुद्ध उच्चतर कमेटी के समक्ष अपील करने का अधिकार सदस्य को होगा और यदि यह फैसला सर्वोच्च कमेटी अर्थात आल इण्डिया फ्रंट कमेटी द्वारा लिया गया है तो सम्बंधित सदस्य को उसके पास पुनर्समीक्षा, पुनर्विचार के लिए भेजने का अधिकार होगा। मामले पर पुनर्विचार के बाद अपीलीय पुनर्समीक्षा निकाय द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम और मान्य होगा।

(24) वित्तीय प्रावधान - फ्रंट प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर भारत निर्वाचन आयोग को वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करेगा। पार्टी का लेखा परीक्षण (सी.ए.जी.) में सूचीबद्ध आडिटर से कराया जायेगा। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) का फंड राजनीतिक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जायेगा। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) अपने वित्तीय लेखों के रख-रखाव में आयोग द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों का पालन करेगा।

(24) (क) एआईपीएफ (आर) अपने संसाधन सदस्यता शुल्क व सदस्यों, शुभचिंतकों, समान विचार वाले व्यक्तियों तथा संगठनों द्वारा दिए गए अनुदान से विकसित करेगा। यह किसी भी विदेशी स्रोत से कोई धन स्वीकार नहीं करेगा। इस तरह एकत्र धन आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (रेडिकल) के नाम पर सूचीबद्ध बैंक में खोले गए खाते में रखा जाएगा।

(25) विलय व विघटन - किसी दूसरे राजनैतिक संगठन में विलय व विघटन का निर्णय राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में भाग ले रहे तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत के आधार पर होगा। यह फैसला आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की बैठक में उपस्थित तथा मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन के बाद ही अंतिम रूप ग्रहण करेगा।

(26) विविध-
अ - विभिन्न निकायों की बैठक बुलाए जाने पर सभी सम्बंधित सदस्यों को बैठक की समुचित सूचना दी जाएगी।
ब - सदस्यता शुल्क का फैसला राष्ट्रीय कार्य समिति द्वारा किया जाएगा।
स - जहां संविधान में कोई विशिष्ट प्रावधान उपलब्ध न हो और तत्काल फैसला लेना जरूरी हो, राष्ट्रीय कार्य समिति अपने उपस्थित तथा मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के अनुमोदन के साथ आवश्यकतानुसार समुचित फैसला लेने के लिए अधिकृत होगी। इस फैसले का आल इण्डिया फ्रंट कमेटी की बैठक में उपस्थित तथा मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के सामान्य बहुमत से अनुमोदन आवश्यक होगा। ऐसे फैसले को संविधान की प्रस्तावना, संवैधानिक उद्घोषणा तथा वर्तमान प्रावधानों एवं संविधान की अन्तर्निहित भावना के साथ सुसंगत होना चाहिए।