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कर्नाटक सरकार ने हाल ही में Karnataka Mis-Information And Fake News (Prohibition) Bill की रूपरेखा प्रकाशित की है, जिसके तहत "फेक न्यूज", "anti-feminist" सामग्री या "अंधविश्वास" फैलाने की धाराओं में जेल की सज़ा — सात साल तक — प्रस्तावित है। आलोचकों का कहना है कि यह अस्पष्ट कानून प्रेस सेंसरशिप और डिजिटल अभिव्यक्ति को दबाने का आधार बन सकता है जबकि सरकारी पक्ष इसे misinformation रोकने की दिशा में कदम बताता है।