अमेरिका का भारत पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला 7 दिन टला - भारत
अमेरिका का भारत पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला 7 दिन टला - भारत सरकार की चुप्पी रणनीतिक01-Aug-2025 2:30:22 PM अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर 25% टैरिफ लगाने का जो निर्णय लिया गया था, उसे फिलहाल एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह टैरिफ मुख्य रूप से भारतीय मेटल्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटो पार्ट्स पर लागू होने वाला था। इस टैरिफ की घोषणा के बाद भारत के निर्यात क्षेत्र में चिंता की लहर दौड़ गई थी। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मसले पर "चुप्पी और संवाद की रणनीति" पर काम कर रही है। यह माना जा रहा है कि भारत जल्द ही अमेरिकी प्रतिनिधियों से उच्च स्तरीय बातचीत शुरू करेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत लिया है। उनका दावा है कि भारत जैसे देश अमेरिकी मार्केट से फायदा उठाते हैं लेकिन अमेरिका को बराबरी नहीं देते। यह बयान ट्रंप ने मियामी में आयोजित एक व्यापारिक सम्मेलन में दिया था। भारत की तरफ से टैरिफ की प्रतिक्रिया को लेकर फिलहाल कोई उग्र नीति सामने नहीं आई है। सरकार के सलाहकारों का मानना है कि सीधी प्रतिक्रिया देने की बजाय व्यापारिक मंचों और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के माध्यम से हल तलाशा जाना चाहिए। वाणिज्यिक विश्लेषकों का कहना है कि इस टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर सीमित असर होगा। भारतीय निर्यात का एक बड़ा हिस्सा अब यूरोप और मध्य एशिया की ओर बढ़ रहा है, जिससे अमेरिकी निर्भरता पहले से कम हो चुकी है। हालांकि, कुछ सेक्टर जैसे तांबा (Copper), स्टील और एल्यूमीनियम पर इसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है। भारत के एक्सपोर्टरों को चिंता है कि इससे उनके उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में महंगे हो जाएंगे और प्रतिस्पर्धा में गिरावट आएगी। भारत में औद्योगिक संगठनों जैसे CII और FICCI ने भी इस निर्णय पर चिंता जताई है और सरकार से अपील की है कि वह कूटनीतिक दबाव के जरिए इस मसले को सुलझाए। स्वदेशी जागरण मंच ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि भारत को दबाव की रणनीति के आगे झुकना नहीं चाहिए। मंच के प्रवक्ता ने कहा, “भारत एक उभरती आर्थिक शक्ति है और अमेरिका के इस प्रकार के निर्णय से वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचता है।” सरकार के करीबी सूत्रों का यह भी कहना है कि भारत को इस टैरिफ का जवाब अगर देना पड़ा, तो वह ‘‘वस्तु विनियम’’ (Reciprocal Tariffs) के माध्यम से दिया जा सकता है। इस बीच, अमेरिकी कंपनियों ने भी भारत में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार से मुलाकात की है ताकि इस मसले को जल्द सुलझाया जा सके। अमेरिका के लिए भारत एक बड़ा मार्केट भी है — जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ 7 अगस्त के बाद लागू होता है, तो भारत को जल्द वैकल्पिक निर्यात बाजार की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। WTO की निगरानी में यदि बातचीत आगे बढ़ी, तो यह विवाद एक वैश्विक मिसाल बन सकता है।